भारत में किसी जांच एजेंसी द्वारा जब्त किए गए इतने बड़े कैश का ये पहला मामला है। जिसने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यहां पर खास बात जो ध्यान देने लायक है, वो ये कि अब आयकर विभाग हाई टेक्नोलॉजी गैजेट्स का इस्तेमाल इसमें कर रहा है जिससे कि वह जमीन के भीतर गड़े गोल्ड आदि का पता लगा सके। NDTV के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि आईटी टीम अब जियो सर्विलांस सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है। यह जमीन के भीतरी छिपी कीमती धातुओं जैसे सोने और जूलरी आदि को बहुत आसानी से ढूंढ सकता है। विभाग धीरज कुमार साहू के रांची वाले बंगले, और झारखंड में लोहारडागा वाले घर में इनका इस्तेमाल कर रहा है।
6 दिसंबर को यह छापेमारी शुरू हुई थी। आयकर विभाग को शक है कि जो कैश बरामद हुआ है वो बौध डिस्टिलरीज और इससे जुड़ी संस्थाओं द्वारा की जा रही अवैध कमाई को उजागर करता है। देश की राजनैतिक पार्टियों में इस घटना को लेकर आरोपों का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस और और अन्य विरोधी दलों पर घटना को मुद्दा बनाते हुए कड़ा निशाना साधा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मौजूदा सरकार पर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने के जो आरोप लग रहे थे, दरअसल वे विरोधी दलों द्वारा अपने भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होने के डर के चलते लगाए जा रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन कहा कि जनता का जो पैसा लूटा गया है, उसे वापस किया जाएगा। क्रांग्रेस की ओर से धीरज कुमार साहू के बचाव को लेकर कोई बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है। पार्टी का कहना है कि उसका धीरज कुमार साहू के इस बिजनेस से कोई लेना देना नहीं है। सांसद को खुद ही ये बताना होगा कि कैश कहां से आया है। बहरहाल, आयकर विभाग इस छापेमारी में तलहटी तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी का पूरा जोर लगा रहा है ताकि छिपे हुए सोने आदि का भी पता लगाया जा सके।
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