महिलाओं में भी स्केंस ग्रंथियां होती हैं, जो संभोग के दौरान चिकनाई प्रदान करती हैं और स्खलन में मदद करती हैं। पर क्या इनमें किसी तरह के ट्यूमर के विकास की संभावना है? तो इसका जवाब है, हां! ये मामले कम हैं पर इन्हें नकारा नहीं जा सकता।

स्केन्स ग्रंथियां जिन्हें पैरायूरेथ्रल ग्रंथियां भी कहा जाता है, योनि की पिछली दीवार पर, मूत्रमार्ग के निचले हिस्से के नजदीक स्थित होती हैं। ये ग्रंथियां काफी हद तक पुरुषों में पायी जाने वाली प्रोस्टेट ग्रंथियों की तरह होती हैं और महिलाओं के यौन स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती हैं। ये ग्रंथियां तरल पदार्थ का स्राव करती हैं, जो लुब्रिकेशन में सहायक होता है। पर क्या इनमें ट्यूमर का होना संभव है? आम बोलचाल की भाषा में कहें, तो क्या महिलाओं में भी प्रोस्टेट कैंसर(Prostate cancer in women)हो सकता है? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

क्या है महिलाओं में स्केन्स ग्रंथियों की उपयोगिता

ऐसा माना जाता है कि चूंकि प्रोस्टेट ग्रंथियां ऐसा द्रव स्रावित करती हैं जिनसे वीर्य बनता है, स्केन्स ग्रंथियां कामोत्तेजना के दौरान ‘महिलाओं में स्खलन’ के समान काम करती हैं। हालांकि स्केन्स ग्रंथियों में ट्यूमर काफी दुर्लभ होता है, और इस वजह से इनके क्लीनिकल लक्षण, डायग्नॉसिस तथा मैनेजमेंट भी चुनौतीपूर्ण हैं। साथ ही, अस्पष्ट लक्षणों और कलीनिकल संकेतों के चलते यह मुश्किल और भी बढ़ जाती है।

क्या हैं महिलाओं में प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण (Female prostate cancer symptoms)

स्केन्स ग्रंथियों में ट्यूमर के कई लक्षण हो सकते हैं, जो कि मूत्रमार्ग और योनि में ग्रंथि की लोकेशन से संबंधित हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः

1. दर्द या असहजताः

यह मूत्रमार्ग और योनि स्थान के आसपास हो सकता है तथा यौन संसर्ग या पेशाब करते समय बढ़ सकता है।

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पेल्विक एरिया में दर्द होना इसका एक प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

2. मूत्रमार्ग से स्रावः

कुछ मरीजों को असामान्य स्राव की शिकायत हो सकती है, जो कई बार मूत्रनली का इंफेक्शन (यूटीआई) या योनि में अन्य किसी इंफेक्शन के कारण हो सकता है।

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3. पेशाब संबंधी लक्षणः

इनमें डिसुरिया (मूत्र त्याग के समय दर्द होना), बार-बार पेशाब करने की इच्छा महसूस होना, और ट्यूमर द्वारा मूत्रमार्ग पर दबाव डालने से पेशाब का अटकना (यूरिन रिटेंशन) शामिल हैं।

4. स्पर्श करने योग्य द्रव्यमानः

कुछ मामलों में, शारीरिक जांच के दौरान मूत्रमार्ग के मुख के पास स्पर्श करने योग्य द्रव्यमान महसूस होता है

ट्यूमर के प्रकार (Types of tumor)

स्केन्स ग्रंथि के ट्यूमर बिनाइन या मैलिग्नेंट (गैर कैंसरकारी या कैंसरकारी) दोनों हो सकते हैं। सबसे आम प्रकार का कैंसर में एडिनोमा शामिल है, जो बिनाइन होते हैं, तथा एडिनोकार्सिनोमा होते हैं जो कि मैलिग्नेंट होते हैं।

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जितना जल्दी इनका पता चल जाए, उपचार उतना ही आसान और सफल हो सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

अन्य दुर्लभ किस्म के कैंसर टाइप में स्क्वैमस सैल कार्सिनोमा तथा ट्रांसिशनल सैल कार्सिनोमा शामिल हैं। चूंकि ये काफी दुर्लभ किस्म के कैंसर हैं, इसलिए इनकी उत्पत्ति के कारणों और पैथोफिजियोलॉजी के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।

कैसे किया जाता है इनका निदान (Female Prostate Cancer Diagnosis)

स्केन्स ग्रंथि के ट्यूमर के डायग्नॉसिस के लिए क्लीनिकल जांच, इमेजिंग और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच की जाती है।

1. शारीरिक जांचः

इसमें पेल्विक जांच से मूत्रमार्ग के मुख के आसपास किसी द्रव्यमान के मौजूद होने या अन्य किसी एब्नॉर्मेलिटी का पता चलता है।

2. इमेजिंगः

अल्ट्रासाउंड, एमआरआई या सीटी स्कैन से ट्यूमर के बारे में और जानकारी मिलती है और आसपास की संरचनाओं के साथ उसके संबंध के बारे में पता चलता है।

3. बायप्सीः

स्पष्ट डायग्नॉसिस के लिए बायप्सी और हिस्टोलॉजिकल जांच की जाती है। इससे बिनाइन और मैलिग्नेंट ट्यूमर के अंतर को समझने में मदद मिलती है।

प्रकार के आधार पर किया जा सकता है उपचार (Female Prostate Cancer Treatment)

इसका उपचार ट्यूमर टाइप, साइज़ और स्टेज पर निर्भर करता है, तथा मरीज की हेल्थ भी काफी महत्वपूर्ण रोल अदा करती है।

1. बिनाइन ट्यूमरः

इस प्रकार के ट्यूमर को आमतौर से सर्जरी से निकाला जाता है। पूरी तरह से ट्यूमर रिमूव होने पर इसके दोबारा पनपने का रिस्क काफी कम होता है।

2. मैलिग्नेंट ट्यूमरः

स्केन्स ग्रंथि में मैलिग्नेंट ट्यूमर के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। ट्यूमर टाइप और स्टेज को ध्यान में रखकर थेरेपी का चुनाव होता है। रेडिकल सर्जरी, जिसमें यूरेथ्रक्टमी और आंशिक वैजाइनेक्टमी शामिल है, एडवांस स्टेज के ट्यूमर में जरूरी हो सकती है।

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महिलाओं में प्रोस्टेट कैंसर का उपचार संभव है, अगर इसका समय रहते पता लगा लिया जाता है। चित्र : अडोबीस्टाॅक

स्केन्स ग्रंथि के ट्यूमर के मरीजों में प्रॉग्नॉसिस अलग-अलग होते हैं। बिनाइन ट्यूमर के मामले में आमतौर से बेहतरीन प्रॉग्नॉसिस होता है और इसके बाद सर्जरी की मदद से पूरी तरह से ट्यूमर को निकाला जाता है। मैलिग्नेंट ट्यूमर होने पर, अधिक सावधानीपूर्वक प्रॉग्नॉसिस हो सकता है। जो कि ट्यूमर के लोकल फैलाव और मेटास्टेसिस के मद्देनजर होता है।

शुरुआत में रोग का पता लगाने और और तत्काल इलाज शुरू करने से मैलिग्नेंट मामलों में बेहतर नतीजे मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

स्केन्स ग्रंथि के ट्यूमर, बेशक दुर्लभ होते हैं, ये मूत्रमार्ग या योनि संबंधी लक्षणों के साथ आने वाली महिलाओं में डायग्नॉसिस के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं। इन ग्रंथियों की मूत्रमार्ग से नजदीकी के चलते, ये ट्यूमर कई बार अन्य सामान्य कंडीशंस के लक्षणों की तरह भी प्रकट हो सकते हैं, जैसे कि इनके लक्षण यूटीआई या योनि के इंफेक्शन से मिलते-जुलते हो सकते हैं।

सटीक डायग्नॉसिस के लिए लक्षणों को अधिक संदेह की दृष्टि से देखना तथा उचित डायग्नॉस्टिक विधियों का पालन करना जरूरी है। इलाज के लिए आमतौर से सर्जरी की मदद ली जाती है, और मैलिग्नेंट मामलों में अन्य प्रक्रियाएं भी शामिल हो सकती हैं।

चूंकि ये ट्यूमर काफी दुर्लभ हैं, इसलिए इनकी पैथोजेनेसिस को बेहतर तरीके से समझने तथा मैनेजमेंट की बेहतर रणनीतियों को अमल में लाने के लिए इनके बारे में अधिक रिसर्च करना जरूरी है। रोग का शीघ्र पता लगाना तथा व्यक्तिगत जरूरत के मुताबिक उपचार शुरू करना मरीज के मामले में सर्वश्रेष्ठ नतीजे दिला सकता है।

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