शक्ति वह है जो आपके हित में काम करें और इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सही फिटनेस। अगर आप भी अपनी फिटनेस पर काम कर रही हैं, तो देवी आसन आपके लिए मददगार हो सकता है।

नवरात्रि के अवसर पर उपवास रखे जाते हैं। सात्विक भोजन खाया जाता है। जाहिर है इन सभी का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। आपने कभी देवी दुर्गा की प्रतिमा को गौर से देखा है? उनके दोनों हाथ ऊपर की ओर उठे होते हैं। पैर और कमर इस तरह होती हैं, जिससे मध्य शरीर पर खिंचाव होता हो। आपने यह भी गौर किया होगा कि 9 रूप धारण करने वाली देवी का शरीर गठा हुआ होता है। शरीर के किसी भी भाग पर चर्बी नहीं जमी होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि देवी का यह आसन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। फिर क्यों न हम इस आसन के 9 फायदे (9 Benefits of Devi asana or Goddess pose) जानते हुए इस आसन की शुरुआत नवरात्रि से कर दें।

उत्कट कोणासन या फायरी एंजेल है देवी आसन (Goddess Pose or Utkata konasana)

योग इंस्ट्रक्टर उत्तम कुमार बताते हैं, ‘देवी आसन (Devi asana) को उत्कट कोणासन (Utkata Konasana) या फायरी एंजेल (Fiery Angel) के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है। इस आसन का अभ्यास करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं।’

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धीरे-धीरे हथेलियों को एक साथ रखें और नमस्ते मुद्रा बनाएं। चित्र : अडोबी स्टॉक

कैसे किया जाता है देवी आसन (Deviasana or Goddess pose/ Utkata Konasana/ Fiery Angel)

  •  उत्तम कुमार बताते हैं, ‘सबसे पहले ताड़ासन यानी पर्वत मुद्रा या ताड़ के पेड़ की मुद्रा की स्थिति में आ जाएं।
  • अपने आर्म को पैरों के बगल में आराम की स्थिति में रखें।
  • अपने पैरों को फैलाएं और चार फीट की दूरी रखें।
  • अब दोनों पैरों की उंगलियों को बाहर की ओर मोड़ें और लंबी सांस लें।
  • जिस समय आप सांस छोड़ें, घुटनों को मोड़ें। यह सुनिश्चित करें कि वे पैर की उंगलियों के ऊपर हों।
  • अब हिप्स को स्क्वाट की स्थिति में नीचे करें। जांघों को जमीन या फर्श के बराबर रखें। यह तब हो सकता है जब आप स्क्वाटिंग का अभ्यास करती हैं।’

नमस्ते की मुद्रा भी है जरूरी

  1. भुजाओं को कंधों के बगल तक फैला लें। बाहों को कंधे की ऊंचाई पर रखने की कोशिश करें।
    हथेलियां नीचे की ओर होनी चाहिए।
  2. इसके बाद धीरे-धीरे हथेलियों को एक साथ रखें और नमस्ते मुद्रा बनाएं। उन्हें चेस्ट के पास रखें।
  3. उस समय फोर आर्म को 90 डिग्री के कोण पर रखें।
  4. टेलबोन हिप्स के साथ चिपकी होनी चाहिए, जांघें पीछे की ओर खींची जानी चाहिए।
  5. घुटने पैर की उंगलियों के समानांतर होनी चाहिए। लगभग 30 से 60 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें।
  6. जब असहज महसूस करें, तो धीरे से बाहों को नीचे करें और ताड़ासन की प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं। इसे 4 से 6 बार दोहराएं।

देवी आसन के यहां हैं 9 फायदे (9 Benefits of Devi asana or Goddess pose)

1 कमर, कूल्हों और चेस्ट को फैलाता है।
2 यह कोर मांसपेशियों को टोन और मजबूत करता है।
3 आपकी इनर थाय और क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
4 यह बाहों, पीठ के ऊपरी हिस्से और कंधों को मजबूत बनाता है।
5 इस आसन से शरीर में गर्मी पैदा होती है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।
6 देवी आसन पेल्विस को ब्रॉड करने में मदद करता है। यह प्रसव के दौरान महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है।
7 प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में यह मदद करता है, क्योंकि यह चक्र को संतुलित करता है।
8 यह व्यक्ति को तनावमुक्त कर मन को शांत करता है। यह भावनात्मक स्थिरता भी उत्पन्न करता है ।
9 उत्कट कोणासन या देवी आसन नियमित रूप से करने पर बेली फैट को कम करने में मदद मिलती है।

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सबसे पहले ताड़ासन यानी पर्वत मुद्रा या ताड़ के पेड़ की मुद्रा की स्थिति में आ जाएं। चित्र- अडोबी स्टॉक

किन्हें नहीं करना चाहिए देवी आसन का अभ्यास (Who should avoid Goddess pose)

यदि आपको हाल ही में पीठ, कूल्हों, पैरों या कंधों में चोट लगी है, तो इस आसन से बचें। हाई ब्लडप्रेशर होने पर यह आसन नहीं करें। क्योंकि यह आसन शरीर में गर्मी पैदा करता है। यदि आपको किसी प्रकार की चिकित्सीय समस्याएं हैं, तो इस आसन को करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। आसन और श्वास संबंधी व्यायाम हमेशा किसी विशेषज्ञ योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।और पढ़ें

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